Popular Ghazal Lyrics in Hindi

तुम को देखा तो ये ख़याल आया
ज़िंदगी धूप तुम घना साया
तुम को...
आज फिर दिलने एक तमन्ना की
आज फिर दिलको हमने समझाया
ज़िंदगी धूप तुम घना साया…
--तुम को देखा तो ये ख़याल आया
तुम चले जाओगे तो सोचेंगे
हमने क्या खोया, हमने क्या पाया
ज़िंदगी धूप तुम घना साया…
--तुम को देखा तो ये ख़याल आया
हम जिसे गुनगुना नहीं सकते
वक़्त ने ऐसा गीत क्यूँ गाया
ज़िंदगी धूप तुम घना साया…
Tum ko dekha to yeh
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बाहों में चले आ
ओ, हमसे सनम क्या परदा- 2
येआज का नहीं मिलन,
ये संग है उम्रभर का
चले ही जाना है, नजर चुरा के यूँ
फिर थामी थी तु ने साजन
मेरी कलाई क्यों?
किसी को अपना बना के छोड़ दे
ऐसा कोई नहीं करता
--बाहों में चले आ
ओ, हमसे सनम क्या परदा- 2
कभी कभी कुछ तो
कहो पिया हमसे
ये, कम से कम, आज तो खुल के
मिलो ज़रा हम से
है रात अपनी, जो तुम हो अपने
किसी का फिर, हमे डर क्या?
--बाहों में चले आ
ओ, हमसे सनम क्या परदा- 2
Bahon Mei Chale Aa
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लहराके झूम के ला मुस्कुराके ला
फूलों के रस में चाँद कीं किरणें मिला के ला
कहते है उम्रें रफ़्ता कभी लौटती नहीं
जा मैकदें से मेरी जवानी उठा के ला
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न समझो के हम पी गए पीते पीते
कि थोड़ा सा हम जी गए पीते पीते
हमें सीधी राहों ने रोका बहुत था
क़दम लड़खड़ा ही गए पीते पीते
कि थोड़ा सा हम जी गए पीते पीते
--न समझो के हम पी गए पीते पीते
नहीं देखे साक़ी ने हम से शराबी
के मैख़ाने में भी गए पीते पीते
कि थोड़ा सा हम जी गए पीते पीते
--न समझो के हम पी गए पीते पीते
किसी ने जो पूछा के क्यूँ पी रहे हो
तो हँसके कहा पी गए पीते पीते
कि थोड़ा सा हम जी गए पीते पीते
--न समझो के हम पी गए पीते पीते
कि थोड़ा सा हम जी गए पीते पीते
na samjho ke hum pee
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चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
हम को अब तक आशिकी का वो ज़माना याद है
तुझ से मिलते ही वो कुछ बेबाक (bebkuf) हो जाना मेरा
और तेरा दांतों में वो उंगली दबाना याद है
--हम को अब तक आशिकी का वो ज़माना याद है
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
चोरी-चोरी हम से तुम आ कर मिले थे जिस जगह
मुद्दतें गुजरीं पर अब तक वो ठिकाना याद है
--हम को अब तक आशिकी का वो ज़माना याद है
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
खैंच लेना वो मेरा परदे का कोना दफ्फातन (Suddenly)
और दुपट्टे से तेरा वो मुंह छुपाना याद है
--हम को अब तक आशिकी का वो ज़माना याद है
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
दोपहर की धुप में मेरे बुलाने के लिए
वो तेरा कोठे पे नंगे पांव आना याद है
--हम को अब तक आशिकी का वो ज़माना याद है
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है